खुश खबरी दोस्तों, राने की शादी तय हो गयी
अरे भौतिकी की डिग्री मिलते ही उसकी कीमत दोगुनी हो गयी
घर वालों ने नन्हे की शादी के दहेज़ के लिए मार्केट सर्वे किया
कैसे चूसना है लड़की वालों को इस पर चर्चा किया
तय किया के आएगी लड़की एक संपन परिवार से
पूरी हो सके फरमाइश एक इशारे से
सामान की लिस्ट तैयार हुई
फ्रिज, टीवी, ऐसी, फर्नीचर, सोना, चांदी, नकदी की डिमांड हुई
शादी तय होने से ले कर बरात उठने तक रोज़ मांग बढती गयी
बेटी की ख़ुशी समझते हुए लड़की वाले सभी मांग पूरी करते गए
बरात चलने को तैयार खड़ी थी की याद आया
चौपहिया वाहन तो नोट करवाना भूल ही गए
समधी को बोला मांग पूरी करो तभी बरात आएगी द्वार पर
नहीं तो जान देनी पद जायेगी बेटी को बाबुल के द्वार पर
मांग पूरी हुई, राने की शादी बहुत धूम धाम से हुई
बहू घर आ गयी पर राने और घरवालो की भूख बढती चली गयी
प्रतिदिन उनकी अपेक्षा बढती गयी
प्रताड़ित किया बहू को ससुराल वालों ने
दिखाई राने ने मर्दानगी एक औरत को धमकाने में
बहू ने जब किया विरोध तो कैद किया उसे वीराने में
जल गए उसके सारे अरमान अनुचित अभिलाषा के कारण!!
जल गए उसके सारे अरमान अनुचित अभिलाषा के कारण!!
दहेज़ एक ऐसी कुरीति है जिस पर समाज की मुहर है
क्या शिक्षित और क्या निरक्षर
सब के मन में घर करती, दहेज़ एक ऐसी लालच
दहेज़ एक ऐसी लालच जिसे शिक्षा भी दूर नहीं कर पा रही है
क्यूंकि मानव का आचरण दुर्बल हो गया है
दुर्भाग्य देखो भारत का, २१वी सदी के विचारों का
नव-युवक दहेज़ को हक समझते हैं
कमाते हैं लाखों पर क़त्ल करते हैं आदर्शों का
बेरीढ़ हो रहे है मुल्क के नौजवान
मर रहा है आत्मसम्मान
मान-मर्यादा बह गयी लालच की इस दरिया में
डूब गया स्वाभिमान इस मंज़र में
गिर गया वो अपनी ही नज़रों में
कैसे आदमी का स्वरुप इतना धूमिल हो गया
क्यूँ उसका इतना नैतिक पतन हो गया?
मेरा भारत महान कहने से महान नहीं बनता है
महान बनता है मेरे और तुम्हारे विचारों से
कुंठित मानसिकता ध्वंस की सूचक है
दहेज़ समाज के लिए विनाशकारी है
नहीं बने हम लकीर के फ़कीर
उठो और निर्मित करो चरित्रबल
मिटा दो फैला तम अपने समाज से
कभी न विचलित हो बाधाओं के आने से
नव भारत की नींव रखे नए विचारों से!!
good poem