Hum Jee Lenge!

Yeh mere dil ka jaana

Ek aakhri faisla hai

Ab saath hoga na tera

Yeh dard ki intehaan hai

Tha pyar tera toh jhootha

Sacha magar yeh Khuda hai

Tanhaiyon me hoon roya

Tab jaake mujhko mila hai

Tanhaai ka ashq mitayen yahaan

Barbaddiyan bhi sabko jaane mili hain kahaan

Tere bina hum jee lenge

Phir kyun rahe koi gile

Tere bina hum seh lenge

Woh zakhm jo tujh se mile

Hai rut nayi, mausam naya

Iss daur me kaisi wafaa

Bhar jayegi teri kami

Mil jayega ab kuch naya

Haan khush hain ab hum toh

Tujhse kahaan hum khafa hai

Tune chuna hai woh rasta tere liye jo bana hai

Ehsaan tera main maanu

Tanha mujhe jo kiya hai

Jo pyar tera hai khoya

Lagta hai khud se mila main

Kisko mila sang umr bhar ka yahaan

Woh hi rulaye dil chahe jisko sada!!

Poem by Harivansh Bachchan!

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़ – हरिवंश राय बच्चन

कभी नही जो तज सकते हैं, अपना न्यायोचित अधिकार
कभी नही जो सह सकते हैं, शीश नवाकर अत्याचार
एक अकेले हों, या उनके साथ खड़ी हो भारी भीड़

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

निर्भय होकर घोषित करते, जो अपने उदगार विचार
जिनकी जिह्वा पर होता है, उनके अन्तर का अंगार
नहीं जिन्हें, चुप कर सकती है, आतताइयों की शमशीर

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

नहीं झुका करते जो दुनिया से करने को समझौता
ऊंचे से ऊंचे सपनों को देते रहते जो न्योता
दूर देखती जिनकी पैनी आँखें, भविष्य का तम चीर

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

जो अपने कन्धों से पर्वत से बढ़ टक्कर लेते हैं
पथ की बाधाओं को जिनके पाँव चुनौती देते हैं
जिनको बाँध नहीं सकती है लोहे की बेड़ी जंजीर

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ

जो चलते हैं अपने छप्पर के ऊपर लूका धर कर
हर जीत का सौदा करते जो प्राणों की बाजी पर
कूद उदधि में नही पलट कर जो फ़िर ताका करते तीर

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

जिनको यह अवकाश नही है, देखें कब तारे अनुकूल
जिनको यह परवाह नहीं है कब तक भद्र, कब दिक्शूल
जिनके हाथों की चाबुक से चलती है उनकी तकदीर

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

तुम हो कौन, कहो जो मुझसे सही ग़लत पथ लो तो जान
सोच सोच कर, पूछ पूछ कर बोलो, कब चलता तूफ़ान
सत्पथ वह है, जिसपर अपनी छाती ताने जाते वीर

मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

Short Hindi Story: समाज में बच्चे!

गाँव में जब पिछले वर्ष बाढ़ ने तबाही मचाई तो उसमे भजनलाल का घर भी डूब गया! उसकी बीवी चल बसी और अभी कुछ दिनों पूर्व वह भी हैजे की भेंट चढ़ गया! भजनलाल मजदूरी कर के अपना घर चलता था पर अब उसके जाने के बाद उसके दोनों बेटे सड़क पर आ गए हैं और भीख मांगने पर विवश हैं! बडकू १२ साल का है जबकि छोटू तो अभी सिर्फ ५ साल का है! गाँव से भीख मांगते मांगते आज शहर के रेलवे स्टेशन पर आ पहुंचे हैं! पिछले ३-४ महीनों में उनका गुजरा लोगों की दया से हुआ है और आज उनकी कैफियत बहुत ही बेचारी हो चली है! बडकू तो समझदार है पर छोटू के लिए ज़िन्दगी की यह ज़ंग समझ से परे है! हर पल सिर्फ अम्मा और बाप्पा के बारे में पूछता रहता है!
स्तातीओं पर एक दिनों उनकी मुलाक़ात हीरो से हुई! हीरो एक अनाथ बालक है जो रेलवे स्टेशन पर ही पला और बड़ा हुआ है! वह अपने ही जैसे कुछ लड़के-लड़कियों के साथ स्टेशन पर रहता है! इन सब बच्चों का मालिक है रंगा! जब यह बच्चे रंगा के पास आये थे तब बिलकुल मासूम थे पर आज इनमे से अधिकतर ज़िन्दगी की कठिन राह पर छ्हलना सीख चुके हैं पर जिस राह पर वोह चल रहे हैं वह सही है या गलत, ये उन्हें समझाने वाला कोई नहीं है! यह बच्चे स्टेशन पर कुछ काम करते हैं, तो कुछ भीख मांगते हैं, कुछ नशा करने के लिए चोरी करते हैं, कुछ शाहोदागिरी या अन्य कार्य जिन्हें हम और आप सही नहीं मानते हैं! परन्तु इनके लिए सब सही है व वक़्त की मांग है!
बडकू और छोटू भी उन्ही के साथ रहने लगे और दिनों भर स्तैओं पर भीख मांगने लगे! दिनों भर कीबाद भी शायद की भर पेट भोजन मिल पाता था! एक बार ऐसे ही भीख मांगने हेतु, बडकू ने एक यात्री ट्रेन में झाडू लगाई व छोटू ने सबके सामने हाथ फैलाए! कुछ यात्रियों ने आठ आने या रूपये दिए, कुछ ने गालियाँ दी, कुछ ने नसीहत दी, कुछ ने नज़रंदाज़ किया और कुछ ने दुत्कार दिया! छोटू की आँख से आंसू छलक आये! नन्ही सी जान और इतना अपमान व गाली सुनकर वह रोने लगा! उसी दिनों रात में पता चला किरंगा ने पैसे ले कर पिंकी और गुडिया को किसी के साथ भेज दिया है! रंगा ने सभी को बताया कि-“पिंकी और गुडिया कि किस्मत बदल जायेगी! वह उन्हें बहुत अच्छे से रखेगा!” अब अच्छे से रखने का तात्पर्य आप खुद ही समझ सकते हैं! कुछ दिनों पश्चात् पता चला कि पिंकी से जबरन देह व्यापर करवाया जा रहा है व गुडिया कि कोई खबर नहीं है!
एक दिनों जब छोटू और बडकू अपने ठिकाने पहुंचे तो उनकी जेब में कुछ भी न था! आज उनकी कमाई एक चौकीदार ने उन्हें धमका के ले ली थी! तभी वह हीरो आया और सबको मिठाई खिलाने लगा! पूछने पर पता चला कि आज हीरो ने एक बहुत ही बड़ा हाथ मारा है और उसी कि ख़ुशी में वह झूम रहा है! पुलिस ने उसे पकडा पर फिर कुछ लें दें कर के छोड़ दिया! बडकू ने हीरो से कहा-
“तुमने चोरी की?”
“चोरी तो सभी करते हैं, बड़ा हो या छोटा! आज के ज़माने में सभी चोर हैं कुछ इज्ज़तदार चोर तो कुछ अपने जैसे!”
छोटू ने हीरो से प्रभावित हो कर कहा “दादा क्यूँ न हम भी हीरो के साथ कल से जाया करें?”
“नहीं चोरी करने गलत बात है! हम पैसे कमाने के लिए कुछ और कार्य करेंगे!”
अगले दिन बडकू सुबह सुबह ही काम की तलाश में निकल गया! एक दूकान वाले ने उसे भोझा खींचने का कार्य दिया! छोटू और बडकू ने किसी तरह काम पूरा किया तो दुकान वाले ने तय पैसे से कम पैसे बडकू के हाथ में थमा दिए! जब बडकू ने उससे सवाल किया तो उसने उसेगाल पर थप्पड़ रसीद दिया! छोटू यह देख कर रोने लगा! बडकू ने उसे चुप कराया और वहां से चलता बना! समाज की यह एक सच्चाई है की कमज़ोर को हर व्यक्ति दबाता है! यह प्रक्रिया ऊपर से लेकर नीचे तक होती है! कमज़ोर की कोई पैरवी भी नहीं करता! ऐसा प्रतीत होता है की एक गरीब व कमज़ोर के लिए कोई स्थान नहीं है! तभी तो आज बडकू के हक के पैसे भी उसे न मिले!
बडकू तो अपना आप को संभल लिया पर छोटू की सहनशीलता जवाब दे चुकी थी और अगली सुबह वो हीरो के साथ काम् पर निकल गया! आज एक और बच्चा समाज की भेंट चढ़ गलत राह पर चला गया! क्या हं बडकू को भी उस राह पर जाने से रोक सकते हैं?
आज हमारी सरकार  बाल विकास के लिए कई योजनायें चला रही है पर कही न कही अभी इस दिशा में बहुत कुछ करना है! जरूरी है की सर्कार अपने लक्ष्य को फिर से निर्धारित करे! समाज को भी चाहिए की वो इन बच्चों के प्रति अपने रुख में बदलाव लाये! अगर हर पारी पूर्ण व्यक्ति एक भी बच्चे की ज़िन्दगी में अच्छे बदलाव ला सकता है तो उसे प्रयत्न अवश्य करना चाहिए! अपने देश के भविष्य को सँवारने के लिए हम सभी को एक जुट होना ही होगा!

गाँव में जब पिछले वर्ष बाढ़ ने तबाही मचाई तो उसमे भजनलाल का घर भी डूब गया! उसकी बीवी चल बसी और अभी कुछ दिनों पूर्व वह भी हैजे की भेंट चढ़ गया! भजनलाल मजदूरी कर के अपना घर चलता था पर अब उसके जाने के बाद उसके दोनों बेटे सड़क पर आ गए हैं और भीख मांगने पर विवश हैं! बडकू १२ साल का है जबकि छोटू तो अभी सिर्फ ५ साल का है! गाँव से भीख मांगते मांगते आज शहर के रेलवे स्टेशन पर आ पहुंचे हैं! पिछले ३-४ महीनों में उनका गुजरा लोगों की दया से हुआ है और आज उनकी कैफियत बहुत ही बेचारी हो चली है! बडकू तो समझदार है पर छोटू के लिए ज़िन्दगी की यह ज़ंग समझ से परे है! हर पल सिर्फ अम्मा और बाप्पा के बारे में पूछता रहता है!

स्तातीओं पर एक दिनों उनकी मुलाक़ात हीरो से हुई! हीरो एक अनाथ बालक है जो रेलवे स्टेशन पर ही पला और बड़ा हुआ है! वह अपने ही जैसे कुछ लड़के-लड़कियों के साथ स्टेशन पर रहता है! इन सब बच्चों का मालिक है रंगा! जब यह बच्चे रंगा के पास आये थे तब बिलकुल मासूम थे पर आज इनमे से अधिकतर ज़िन्दगी की कठिन राह पर छ्हलना सीख चुके हैं पर जिस राह पर वोह चल रहे हैं वह सही है या गलत, ये उन्हें समझाने वाला कोई नहीं है! यह बच्चे स्टेशन पर कुछ काम करते हैं, तो कुछ भीख मांगते हैं, कुछ नशा करने के लिए चोरी करते हैं, कुछ शाहोदागिरी या अन्य कार्य जिन्हें हम और आप सही नहीं मानते हैं! परन्तु इनके लिए सब सही है व वक़्त की मांग है!

बडकू और छोटू भी उन्ही के साथ रहने लगे और दिनों भर स्तैओं पर भीख मांगने लगे! दिनों भर कीबाद भी शायद की भर पेट भोजन मिल पाता था! एक बार ऐसे ही भीख मांगने हेतु, बडकू ने एक यात्री ट्रेन में झाडू लगाई व छोटू ने सबके सामने हाथ फैलाए! कुछ यात्रियों ने आठ आने या रूपये दिए, कुछ ने गालियाँ दी, कुछ ने नसीहत दी, कुछ ने नज़रंदाज़ किया और कुछ ने दुत्कार दिया! छोटू की आँख से आंसू छलक आये! नन्ही सी जान और इतना अपमान व गाली सुनकर वह रोने लगा! उसी दिनों रात में पता चला किरंगा ने पैसे ले कर पिंकी और गुडिया को किसी के साथ भेज दिया है! रंगा ने सभी को बताया कि-“पिंकी और गुडिया कि किस्मत बदल जायेगी! वह उन्हें बहुत अच्छे से रखेगा!” अब अच्छे से रखने का तात्पर्य आप खुद ही समझ सकते हैं! कुछ दिनों पश्चात् पता चला कि पिंकी से जबरन देह व्यापर करवाया जा रहा है व गुडिया कि कोई खबर नहीं है!

एक दिनों जब छोटू और बडकू अपने ठिकाने पहुंचे तो उनकी जेब में कुछ भी न था! आज उनकी कमाई एक चौकीदार ने उन्हें धमका के ले ली थी! तभी वह हीरो आया और सबको मिठाई खिलाने लगा! पूछने पर पता चला कि आज हीरो ने एक बहुत ही बड़ा हाथ मारा है और उसी कि ख़ुशी में वह झूम रहा है! पुलिस ने उसे पकडा पर फिर कुछ लें दें कर के छोड़ दिया! बडकू ने हीरो से कहा-

“तुमने चोरी की?”

“चोरी तो सभी करते हैं, बड़ा हो या छोटा! आज के ज़माने में सभी चोर हैं कुछ इज्ज़तदार चोर तो कुछ अपने जैसे!”

छोटू ने हीरो से प्रभावित हो कर कहा “दादा क्यूँ न हम भी हीरो के साथ कल से जाया करें?”

“नहीं चोरी करने गलत बात है! हम पैसे कमाने के लिए कुछ और कार्य करेंगे!”

अगले दिन बडकू सुबह सुबह ही काम की तलाश में निकल गया! एक दूकान वाले ने उसे भोझा खींचने का कार्य दिया! छोटू और बडकू ने किसी तरह काम पूरा किया तो दुकान वाले ने तय पैसे से कम पैसे बडकू के हाथ में थमा दिए! जब बडकू ने उससे सवाल किया तो उसने उसेगाल पर थप्पड़ रसीद दिया! छोटू यह देख कर रोने लगा! बडकू ने उसे चुप कराया और वहां से चलता बना! समाज की यह एक सच्चाई है की कमज़ोर को हर व्यक्ति दबाता है! यह प्रक्रिया ऊपर से लेकर नीचे तक होती है! कमज़ोर की कोई पैरवी भी नहीं करता! ऐसा प्रतीत होता है की एक गरीब व कमज़ोर के लिए कोई स्थान नहीं है! तभी तो आज बडकू के हक के पैसे भी उसे न मिले!

बडकू तो अपना आप को संभल लिया पर छोटू की सहनशीलता जवाब दे चुकी थी और अगली सुबह वो हीरो के साथ काम् पर निकल गया! आज एक और बच्चा समाज की भेंट चढ़ गलत राह पर चला गया! क्या हं बडकू को भी उस राह पर जाने से रोक सकते हैं?

आज हमारी सरकार  बाल विकास के लिए कई योजनायें चला रही है पर कही न कही अभी इस दिशा में बहुत कुछ करना है! जरूरी है की सर्कार अपने लक्ष्य को फिर से निर्धारित करे! समाज को भी चाहिए की वो इन बच्चों के प्रति अपने रुख में बदलाव लाये! अगर हर पारी पूर्ण व्यक्ति एक भी बच्चे की ज़िन्दगी में अच्छे बदलाव ला सकता है तो उसे प्रयत्न अवश्य करना चाहिए! अपने देश के भविष्य को सँवारने के लिए हम सभी को एक जुट होना ही होगा!

Hindi Poem: नज़रें तो तुम्हारी झुकती हैं!

तुम  खुश  हो  मेरी  आँखों  को  आंसू  दे  कर
दामन  किसी  और  का  थाम  कर
हम  खुश  है  तुम्हारी  असलियत  देख  कर
किये  थे  जो  तुमने  हमसे  वादे  कभी
आज  वो  वादे  किसी  और  से  करता  देख  कर
कैसे  बदलती  है  नियत  लौंडिया  की
जीवन  के  इस  अनुभव  को  देख  कर
पर  जिंदगी  वो  प्रेम  गीत  नहीं
बर्बाद  कर  दी  जाए  तुझ  जैसी  पर
हम  तो  आज  भी  चलते  हैं  उसी  टशन  से
नज़रें  तो  तुम्हारी  झुकती  हैं  हमारी  एक  आहट  पर
शर्मसार  हो  जाती  हो  मेरे  एक  ख्याल  पर!

तुम  खुश  हो  मेरी  आँखों  को  आंसू  दे  कर

दामन  किसी  और  का  थाम  कर

हम  खुश  है  तुम्हारी  असलियत  देख  कर

किये  थे  जो  तुमने  हमसे  वादे  कभी

आज  वो  वादे  किसी  और  से  करता  देख  कर

कैसे  बदलती  है  नियत  लड़की   की

जीवन  के  इस  अनुभव  को  देख  कर

पर  जिंदगी  वो  प्रेम  गीत  नहीं

बर्बाद  कर  दी  जाए  तुझ  जैसी  पर

हम  तो  आज  भी  चलते  हैं  उसी  टशन  से

नज़रें  तो  तुम्हारी  झुकती  हैं  हमारी  एक  आहट  पर

शर्मसार  हो  जाती  हो  मेरे  एक  ख्याल  पर!

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Why no terror strike in US post 9/11 while we have???

This is the question that every one asks and blame it on police, security and int agencies. True, that we have been attacked umpteen number of times and have some how not able to curb this. But comparing it with situation in US is tad harsh. We are India and not US. Ponder on under mentioned points and you will realize why………..

1. Our politicians are lame duck (fattu aur chutiye) and they don’t have will to curb this menace of terrorism. The vote bank card is played at every single step. Interference with functioning of security agencies further weakens them.

2. US is lucky not to have “good neighbours” like us.

3. US security forces don’t have to man their borders. India has LoC, LAC, IB and porous borders to Nepal and Bangladesh. 70% of our resources are deployed to keep an eye on these boundaries. Thousands km of boundary being manned by few thousand men. The forces are overstretched yet they have been doing very good job. If you have been on borders, you ll realize that no matter how much force you put there will be gaps and thus infiltration.

4. No sync between state and center. Our governments are too busy in playing blame game.

5. India’s demography is very diversified than US and meddling by local gunda to politicians is at every level.

6. We don’t have stringent laws and existing one are toothless.

7. Our leaders lack the will to tackle terrorism. They want to keep it lingering so that it acts as a tool for them in their petty politics.

8. We as people only make complaints and don’t really feel for NATION. I can bet that more than 70% of populace is not interested in what is going in our nation. The attitude of Indifference. When we become victim, we Cry. In US, citizens are more law abiding and patriotic.

9. We are reluctant to participate in Democratic process and then keep on cribbing for remaining time. The day we will have voting% more than 75, automatically good candidates will enter assembly or parliament.

10. We are too soft state. We are wary of bold decisions. In US or Israel, citizens consider themself to be soldier and don’t get bog down by the terrorist demands or acts. They believe in crushing it.

11. We have no value of human life. Its comes far too cheap in our nation. In US they value human life. So, we cry for one day and then forget everything. This is our beauty that we forget things very fast!!!

The day we realize that this nation which we call INDIA is constituted by us. The day we think to be an INDIAN first. The day we feel good for our nation and work towards building better INDIA. The day we decide to act rather than only react or want some one else to act on our behalf. That day we will be able to change the face and fate of our INDIA. Everyone of us must be part of nation building process.

Be the change you want to see.If you are not the part of solution then you are the problem. There is no mid way.

Jai Hind!

Hindi Poem: तेरे बिन ज़िन्दगी अधूरी है !!

आज दिल बेकरार है
सिर्फ तेरा ही ख्याल है
एक बार फिर उमड़ पड़ा
तेरे लिए मेरे प्यार का सैलाब है!!


याद आता है तेरे संग बिताये हसीन पल
कर देता है मेरा मन प्रफुल
तेरे लबों कि वो मिठास
बाँहों में तेरे सुकून का एहसास!!


जीवन में आई है बहार
तेरे आने से
अब तो यही दुआ है रब से
बन जाओ तुम मेरी, बस मेरी
नहीं कोई परवाह इस ज़माने से!!


लगता है हर लम्हा अब तेरे बिन भारी है
आँखों में बसी सिर्फ तेरी सूरत प्यारी है
मिट जाए अब जो ये दूरी है
तेरे बिन मेरी ज़िन्दगी अधूरी है!!!

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10 Pillars of Development

Dr Kalam defined the 10 pillars of development; he said that, if India is determined, these targets can be achieved by the year 2020:

1. A nation where the rural and urban divide has been reduced to a thin line.

2. A nation where there is equitable distribution and adequate access to energy and quality water.

3. A nation where agriculture, industry and service sector work together in symphony.

4. A nation where education is not denied to any meritorious candidate because of societal or economic discrimination.

5. A nation which is the best destination for the most talented scholars, scientists and investors.

6. A nation where the best of healthcare is available to all.

7. A nation where the governance is responsive, transparent and corruption free.

8. A nation where poverty has been totally eradicated, illiteracy removed and crimes against women and children are absent and none in the society feel alienated.

9. A secure nation devoid of terrorism, peaceful land happy; a nation that continues with a sustainable growth path.

10. Finally a nation that is one of the best places to live in and is proud of its leadership.

Source: REDIFF

Qualities of Good Leader

According to Dr Kalam, these are characteristics an ideal leader should have.

1. A leader must have a vision.

2. He must have the passion to transform this vision into action.

3. He must be able to travel into unexplored parts. A good leader, says Dr Kalam, never travels the paths explored by others.

4. A leader must know how to manage success and failure.

5. A leader must have courage to take decisions.

6. A leader should have good management skills.

7. Every action of the leader should be transparent.

8. A leader must work with integrity and succeed with integrity.

Source: REDIFF

Hindi Poem: Ab to Faisla Hoga!

आज तुम चली गयी

जाते जाते हमें अन्दर तक झकझोर गयी
सोई हुई पीढ़ी को फिर से जगा गयी
हिजड़ो से भरी सरकार में साहस नहीं
आश्वासन से मनमोहन नहीं होगा
अब तो खुद ही आगे बढ़ना है
एक दूसरे की हिम्मत बनना है
ज्योत से ज्योत जलाना है
एक नया समाज बनाना है
नहीं थमेगा ये कारवां
जब तक इन्साफ नहीं होगा
माँ-बहने जब तक महफूज़ नहीं
क्रोध ये शांत नहीं होगा
तूफ़ान जो अब इस सीने में उमड़ा है
अब वो सैलाब बन कर रहेगा
करने पड़े चाहे जितने जतन
अब तो फैसला हो कर रहेगा

This poem is in memory of “Amanat” who has become the symbol of new awakening in India. RIP sister. We will ensure that your sacrifice does not goes in vain.

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Hindi Poem: Ab Hausla Kam nahi Hoga!

This poem is dedicated to all the protesters who have decided to come out on road demanding stringent action against the rapists in Delhi gang rape case. This fight is now more about the government’s and police apathy and seriousness with which crime of rape is dealt with in our country.

हक के लिए फिर शंखनाद होगा
सड़को पर फिर लोगों का हुजूम होगा
कर ले सरकार सारी तैयारी
अब तो फैसला हो कर रहेगा

जा रहा हूँ मैं अपना अधिकार मांगने
चल जाए लाठी या आंसू गैस के गोले
सच के लिए अब हर बलिदान होगा

महामहिम और महामौन, चुप्पी से काम नहीं होगा
देखते हैं कब तक चेहरा छिपा सकते हैं ये सियासतदान
हमारा हौसला अब कम न होगा

इस बार विकल्प कोई और नहीं है
माताओं और बहनों की इज्ज़त से बढ़कर कुछ और नहीं है
खादी और खाकी की साठ-गांठ का
अब असर हम पर नहीं होगा

अबकी उदासीनता दिखी तो
लहू ये और उत्तेजित होगा
सीने की ज्वाला भड़केगी
हिंसा-अहिंसा के पाठ का कोई फायदा नहीं होगा

कर ले सरकार सारी तैयारी
अब तो फैसला हो कर रहेगा

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